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Saturday, May 24, 2014

थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!” दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली... बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!! भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' इन्सानो ' की. जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया, शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे, अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं, लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं, हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर, की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं

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