सूत्रों का कहना है कि अनौपचारिक परंपरा इसे इतर नवाज शरीफ कश्मीर के अलगाववादी संगठनों के नेताओं से मुलाकात नहीं करेंगे।
हुर्रियत कॉन्फे्रंस के प्रवक्ता शाहीद उल इस्लाम ने कहा कि हमें अभी तक कोई आमंत्रण नहीं मिला है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने की हमें कोई उम्मीद नहीं है। `शरीफ साहब शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने आ रहे हैं, वार्ता करने के लिए नहीं। इसलिए यह एक बिल्कुल ही अलग ही मसला है।`
प्रवक्ता ने कहा कि अब तक जो भी पाकिस्तानी नेता भारत दौरे पर आता था वह वार्ता के लिए अलगाववादी संगठनों को आंमत्रित करता था।
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तानी राजदूत अब्दुल बासित हमें बुलाते हैं तो हम पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे और वार्ता के बारे में अपनी से राय से अवगत कराएंगे। मगर, चूंकि शरीफ वार्ता के लिए नहीं आ रहे हैं, इसलिए हम यह मान रहे हैं कि यह बिल्कुल ही अलग मसला है।
इससे पूर्व अलगाववादियों का उदारवादी धड़ा हुर्रियत ने यह कहते हुए वार्ता के सकारात्मक संकेत दिए थे कि वह कश्मीर समस्या के लिए एक ऎसे समाधान की वकालत करता है जो तीनों पक्षें को स्वीकार्य हो।
हुर्रियत कॉन्फे्रंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि भारत, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस वार्ता में अवश्य शामिल होना चाहिए और समस्या के समाधान के गंभीर प्रयास करने चाहिए।
मीरवाइज ने कहा कि समस्या के समाधान हेतु जोर इस बात पर होना चाहिए कि सभी पार्टियों की जरूरतों, उनके हित और कश्मीरियों की आकांक्षाओं के साथ कोई समझौता न हो। निर्णय सबके लिए स्वीकार्य होना चाहिए। इसमें कश्मीरी अवाम की इच्छाएं सर्वोपरि होनी चाहिए।
मीरवाइज ने कहा कि वार्ता प्रक्रिया गंभीर और परिणामजनित होनी चाहिए। ऎसा मुमकिन बनाने के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों को वार्ता में कश्मीरी अवाम को भी शामिल करना चाहिए। वादी में दीर्घकालिक शांति, समाधान के लिए कश्मीरियों की भागीदारी नितांत जरूरी है।
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